सर्दियों का मौसम चल रहा था| एक बार अकबर राजा नहाने के लिए गए और उन्हें नहाने का पानी बहुत ठंडा लगा| उन्होंने सोचा की अगर कोई आदमी पूरी रात ठन्डे पानी में खड़ा रहे तो वो बहुत बहादुरी वाला कार्य होगा|
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अगले दिन राजा दरबार में गए और उन्होंने हर जगह घोषणा करवा दी जी अगर कोई भी आदमी अगर महल के सामने वाली झील में पूरी रात बिना कपड़ो के खड़ा होगा तो राजा उसे 1000 सोने के सिक्के उपहार में देंगे|
बहुत दिनों तक कोई नहीं आया फिर एक दिन एक दुबला पतला किसान राजा के दरबार में आया| राजा ने किसान से पूछा बताओ तुम यहाँ क्यों आये हो तो किसान ने कहा राजा जी मैं पूरी रात झील में खड़े होने के लिए तैयार हूँ| राजा बोला तुम तो बहुत कमज़ोर हो तुम यह काम क्यों करना चाहते हो| तो किसान ने बोला राजा जी मैं बहुत गरीब हूँ और मेरे छोटे बच्चे हैं मैं उन्हें एक अच्छा जीवन देना चाहता हूँ इसलिए मुझे पैसो की जरूरत है| अकबर राजा यह बात सुनकर सिपाईयों को किसान को रात को झील के पास ले जाने के लिए कहा|
रात होते ही दो सिपाही किसान को झील के पास ले गए| किसान ने अपने कपडे उतारे और झील में उतर गया| पूरी रात किसान झील में खड़ा रहा और सिपाही उसे देखते रहे|
अगले दिन सिपाही किसान को लेकर राजा के पास आये| तो राजा बोला मैं तुमसे खुश हूँ तुम बताओ की तुम इतनी सर्दी में उस झील में कैसे खड़े रहे| किसान बोला राजा जी मैंने झील में भगवान को याद किया और आपके महल के उपर 2 दीपक जल रहे थे मैं बस पूरी रात उन्ही दोनों को देखता रहा और वही से मुझको गर्मी मिलती रही|
राजा के उस किसान से बोला तुम पूरी रात उन दीपको से गर्मी लेते रहे तो तुमने नियमो का सही से पालन नहीं किया इसलिए तुम्हे कोई सोने के सिक्के नहीं मिलेंगे| किसान यह सुनकर बहुत दुखी हुआ पर वो कर भी क्या सकता था| मन मारकर आपने घर चला गया| बीरबल भी यह सब देख रहा था| वह समझ गया की राजा के मान में लालच आ गया है इसलिए वो यह सब कर रहे हैं|
अगले दिन बीरबल ने राजा और सारे मन्तिरियों तो रात के खाने के लिए आमान्त्रिक किया| राजा मान गया|
रात होते ही राजा तैयार होकर बीरबल के घर जाने लगा तो बीरबल ने सन्देश भिजवा दिया की अभी खाना तैयार नहीं हुआ है जब हो जायेगा तो मैं आपको सन्देश भिजवा दूंगा| राजा इन्तज़ार करने लगा| बहुत देर हो जाने के बाद भी बीरबल के यहाँ से कोई सन्देश नहीं आया तो राजा तो गुस्सा आ गया| फिर वह खुद अपने मंत्रियों को लेकर बीरबल के घर चला गया| राजा ने देखा की बीरबल ने खिचड़ी का मटका एक पेड़ के ऊपर तांगा हुआ है और बहुत नीचे आग जलाई हुई है| आग और खिचड़ी के मटके के बीच 5 फ़ीट का अंतर था|
राजा और सारे मंत्री यह देखकर बहुत हँसे और राजा ने बीरबल से बोला की बीरबल मैं तो तुम्हे बहुत बुद्धिमान समझता था पर तुम यह सब क्या कर रहे हो भला इतनी दुरी से खिचड़ी के मटके को गर्मी कैसे मिलेगी| तो बीरबल ने बहुत आदर पूर्वक कहा की राजा जी खिचड़ी के मटके को आग वैसे ही मिलेगी जैसे ही उस किसान को आपके महल के दीपक से मिली थी| सब मंत्री और राजा चुप हो गए| राजा समझ गया की बीरबल ने यह सब उसको सबक सीखाने के लिए किया है|
अगले दिन राजा ने उस किसान को बुलाया और उसे सोने के 1000 सिक्के दे दिए| किसान वो सिक्के लेकर बहुत खुश और राजा को धन्यवाद करने लगा| राजा ने भी बीरबल की बुद्धिमता की तारीफ की|
कहानी से सीख (Moral of the Story)
आदमी को कभी भी लालच नहीं करना चाइये और लोगो का आदर करना चाहिए|