बहुत समय पहले की बात है | एक राजा था जिससे पास एक बन्दर था | राजा को बंदर बहुत पसंद था | वह हमेशा बंदर के साथ रहता और बंदर के साथ खेलते रहता था | पर बंदर बहुत ही बेवकूफ था | सारे दरबारी राजा तो सलाह देते ये बंदर तो बेवकूफ है आप इसका साथ छोड़ दो यह जरूर एक दिन आप तो नुकसान पहुंचाएगा पर राजा ने यह बात नहीं मानी | वह हमेशा बन्दर को अपने साथ रखता और बन्दर को दरबार में भी लेकर आता |
फिर एक दिन राजा सो रहा था तभी एक मक्खी कहीं से आ गयी और राजा के पास आकर बैठ गयी| बन्दर ने यह देख लिया | बंदर ने सोचा की यह मक्खी जरूर राजा तो परेशान करेगी मैं इसे यहां से हटा देता हूं | पर मक्खी भी बड़ी फुर्तीली थी | जब भी बंदर उसे हटाने जाता वह फट से उड़ जाती और दूसरी जगह पर चली जाती | बन्दर ने मक्खी को हटाने की बहुत कोशिश करी पर वो उसकी पकड़ में नहीं आ रही थी |
मक्खी राजा की नाक पर
बन्दर अब परेशान हो गया था | फिर बन्दर ने सोचा की क्यों न राजा के चाकू से मक्खी मार दूं | फिर बंदर ने राजा का चाकू निकाल लिया और उस चाकू से मक्खी को मारने लग गया | पर बन्दर फिर भी उस मक्खी को मार नहीं पा रहा था | तभी मक्खी उड़कर राजा की नाक पर बैठ गयी |
फिर बन्दर ने सोचा की यह अच्छा मौका है मैं चुपके से जाता हूं और राजा की नाक पर बैठी मक्खी तो मार देता हूं | फिर बन्दर ने जैसे ही चाकू चलाया मक्खी तो उड़ गयी पर राजा की नाक चाकू से कट गयी |
राजा चिल्लाते हुए उठा और बन्दर के हाथ में चाकू देखकर सब समझ गया | फिर राजा ने उस बन्दर को भगा दिया | पर अब क्या हो सकता था राजा की नाक तो काट ही गयी थी |
कहानी से सीख
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है की हमें अपने मित्र सोच-समझ कर चुनने चाहिए | बन्दर जैसे गलत मित्र चुनने से नुकसान आपका ही होता है |