अकबर नाम का एक राजा था| वह अपने दरबार में विद्वानों को बहुत पसंद करता था| एक छोटे से गाँव में एक लड़का रहता था उसका नाम महेश था|
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महेश राजा के दरबार में नौकरी पाना चाहता था| एक दिन उसने राजा से मिलने की सोची और वो चल पड़ा राजा से मिलने शहर की और|
शहर की भीड़भाड़ से निकलकर वो राजा के महल तक पहुंचा| राजा के महल के आगे द्वारपाल खड़ा हुआ था| महेश ने द्वारपाल से कहा की मुझे राजा से मिलना है दो द्वारपाल ने बोला राजा हर किसी से नहीं मिलते| तो महेश ने कहा मैं राजा से मिलना चाहता हूँ | कृप्या मुझे राजा जी से मिलने दो|
द्वारपाल ने कहा मैं अगर तुम्हे मिलने दूंगा तो उससे मुझे क्या फायदा होगा| तो महेश सोचने लगा और थोड़ी देर बाद सोचने के बाद बोला की जो भी मुझे राजा से इनाम मिलेगा उसे मैं आधा तुम्हे दे दूंगा| द्वारपाल बहुत लालची था और वो जनता था राजा अकबर लोगो को बहुत इनाम देते हैं| तो वो महेश से बोला ठीक है मैं तुम्हे जाने देता हूँ पर तुम्हे आधा इनाम मुझे देना पड़ेगा| यह कहकर द्वारपाल ने उसे जाने दिया|
महेश राजा के महल के अंदर प्रवेश किया और वो राजा के महल को देखकर हैरान रह गया| महल बहुत सुन्दर बना हुआ था| महल के अंदर सारा दरबार हीरे मोतियों से सजा हुआ था| राजा अकबर दरबारियों के बीच में बैठा हुआ था| महेश ने अकबर राजा को अभिवादन किया और कहा राजा जी मैं बहुत दूर से आया हूँ कृपया मेरी मदद करें|
राजा ने कहा बताओ तुम क्या मदद चाहते हो| तो महेश ने बोला राजा जी आप मुझे सौ कोड़े मारने का इनाम दें| राजा यह सुनकर हैंरान रह गया| राजा बोला की तुम यह कोड़े क्यों खाना चाहते हो तो महेश बोला राजा जी आपके द्वारपाल ने मुझसे वादा लिया है की जो मुझे आपसे इनाम मिलेगा वो मुझे आधा उसे देना पड़ेगा|
यह सुनकर राजा को गुस्सा आ गया और उसने सिपाईयों को आदेश दिया की द्वारपाल को हमारे सामने पेश किया जाये और महेश के इनाम की पूरी राशि इस द्वारपाल को ही दी जाए| सिपाई द्वारपाल को पकड़ कर लाते हैं और उसे 100 कोड़े मारते हैं|
राजा महेश की चालाकी से बहुत खुश हो जाता है और बोलता है की आप जैसे व्यक्ति की हमारे दरबार में जगह होनी चाहिए| आज से हम आपको हमारे दरबार में मंत्री की जगह देते हैं और हम आपको आज से बीरबल बुलाएँगे| यह सुनकर महेश बहुत खुश हुआ और राजा की बात मानकर दरबार में मंत्री बन गया|
तभी से बीरबल और उसकी बुद्धि की कहानियां दूर दूर तक मशहूर हो गयी|