
एक जंगल की नदी सूख गयी थी। सारे जानवर प्यासे थे।
चीकू नाम का चालाक बंदर पेड़ से चिल्लाता है “सुनो! एक नदी पहाड़ के पार है हमें वहां पर चलना चाहिए ।”
एक खरगोश बोलता है “लेकिन वहाँ तो आग लगी है! धुआँ दिख रहा है!”
चीकू बोलता है पर हमें जाना ही पड़ेगा ” फिर सब जानवर वहां पर मिलकर वहां जाने लगते हैं |
हाथी बोलता है “यहाँ आग बहुत तेज़ है!”
चीकू बोलता है “रुको! हमें दिमाग से काम करना होगा ।”
चीकू पेड़ों की डालियों से लटकती बेलें इकट्ठा करता है और बोलता है “इन बेलों से पुल बनाएंगे और नदी तक पहुँचेंगे!” सब मान जाते हैं |
फिर सभी जानवर मिलकर बेलों को बाँधते हैं और पुल तैयार हो जाता है |
आग पास आ जाती है और चीकू बोलता है “जल्दी! एक-एक करके पार करो!”
खरगोश, हिरन, हाथी सभी सुरक्षित पार होते हैं। आग पुल तक पहुँचते ही बेलें टूट जाती हैं!
सब जानवर नदी में कूदकर अपनी प्यास बुझाते हैं।
हाथी खुशी से बोलता है “चीकू, तुमने हमारी जान बचाई!”
चीकू बोलता है “मैंने अकेले ने नहीं हमारे सबके मिलने से ही सब हुआ है !”
कहानी से सीख: मुसीबत में हिम्मत और एकता ही असली हथियार है!”