अकबर के राज्य में एक लड़का रहता था| उसका नाम अब्दुल्ला था| अब्दुल्ला को सब लोग बहुत मनहूस समझते थे| लोग उसे बहुत बुरा-भला कहते थे| वो जहाँ भी जाता था लोग उससे मुँह फेर लेते थे| सब सोचते थे की अगर आपने सुबह उठ कर अब्दुल्ला का मुँह देख लिया तो आपका पूरा दिन ख़राब जायेगा और आपको बुरे समाचार ही मिलेंगे| इसलिए कोई भी अब्दुल्ला से बात भी करना नहीं चाहता था| अब्दुल्ला भी सबकी बातें सुनता रहता था पर कुछ बोल नहीं पता था|
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इस दिन अब्दुल्ला के बारे में अकबर राजा (Akbar) को पता चला| उन्हें इस बात पर यकीन ही नहीं था की कोई मनहूस भी हो सकता है| फिर अकबर राजा ने सोचा की क्यों न अब्दुल्ला से मिला जाये| उसने सिपायों को कहा, अब्दुल्ला को लेकर अतिथि गृह में बिठाया जाये| मैं सुबह उठकर सबसे पहले उसका चेहरा देखूंगा फिर देखता हूँ की मेरे साथ क्या बुरा होता है|
सिपायों ने अब्दुल्ला को अतिथि ग्रह में रहने के लिए कहा और बोला की महाराज आपसे कल सुबह मिलने आएंगे| अकबर राजा सुबह उठते ही सबसे पहले अब्दुल्ला से मिलने आये और उसका चेहरा देख कर चले गए|
अकबर राजा सुबह सुबह स्नानं के लिए चले गए पर वहां पर उनका पैर फिसल गया और उनके पैर में मोच आ गयी| फिर अकबर राजा दरबार में आये और फरयादियों से मिलने लगे| तभी एक सिपाही राजा के पास आया और बताया, “महारानी की तबियत बहुत ख़राब हो गयी है और वो बेहोश हो गयी है|” महाराज को अब्दुल्ला याद में आया और बोला, “जब से हम अब्दुल्ला से मिले हैं तभी से हमारे साथ कुछ न कुछ बुरा हो रहा है| सच में अब्दुल्ला मनहूस है|”
अकबर राजा को अब्दुल्ला पर बहुत गुस्सा आ रहा था| फिर अकबर ने अपने मंत्रियों से पूछा की ऐसे मनहूस को क्या सजा देनी चाहिए| सब मंत्री बोले की ऐसे आदमी को तो फांसी की सजा होनी चाहिए| बीरबल चुप चाप सुनता रहा और उस समय कुछ नहीं बोला| अकबर ने सिपाहियों को बोला की 2 दिन बाद अब्दुल्ला को फांसी दे दी जाये|
बीरबल (Birbal) फिर रात को अब्दुल्ला से मिलने गया और उसके समीप आकर उसको कुछ बताया और बोला की यह बात आप राजा को पत्र में लिख दो| अब्दुला ने फिर रात को पत्र लिखा और सुबह सिपाहियों के हाथो राजा तक भिजवा दिया|
अकबर ने पत्र पढ़ा| पत्र में लिखा था, “महाराज उस दिन आपने सबसे पहले मेरा चेहरा देखा था और मैंने भी सुबह उठ कर सबसे पहले आपका ही चेहरा देखा था और उस दिन मुझे फांसी की सजा हो गयी| अब मैं जानना चाहता हुईं की मैं ज्यादा मनहूस हुआ की आप|” यह सुनकर अकबर को अपनी गलती समझ गया और सिपाहियों को अब्दुल्ला को आजाद करने के लिए कहा|
अगले दिन अकबर बीरबल से मिलने आये और बोले मुझे पता है अब्दुल्ला को वो पत्र लिखने के लिए तुमने ही बोला था| अकबर ने बीरबल को धन्यवाद दिया और कहा की तुमने मुझे एक अनन्याय करने से बचा लिया|
कहानी से सीख (Moral of the Story):
कोई आदमीं मनहूस नहीं होता| हमारे साथ होने वाली घटनाएं हमें यह सोचने पर मजबूर कर देती हैं|