अकबर (Akbar) सभी धर्मो को मानते थे और सभी धर्मो का आदर करते थे | एक दिन बादशाह अकबर ने बीरबल (Birbal) से पूछा, “क्या यह सच है की भगवान् अपने भक्तों की सहायता करने खुद आते हैं|” बीरबल बोले, “यह सही है महाराज| भगवान् खुद अपने भक्तों को बचाने आते हैं|”
यह सुनकर बादशाह अकबर बोले, “उनके पास तो इतने सेवक हैं भगवान् उनको क्यों नहीं भेजते|” बीरबल बोला, “इस बात का जवाब मैं आपको कुछ दिन बाद बताऊंगा|”
बीरबल ने फिर एक पुतला बनाने वाले को तलाश किया और उससे बादशाह अकबर के पोते का एक पुतला बनवाया |
अकबर बादशाह के पोते को उनके सेवक रोज घूमाने ले जाते थे| एक दिन बीरबल ने सेवकों को बोला, अकबर के पोते के पुतले को पानी में गिरा दो और बादशाह अकबर को सुचना दो की उनका पोता पानी में गिर गया है और उसे अभी तैरना भी नहीं आता है|
सेवको ने वैसा ही किया और अकबर को सुचना दी| अकबर यह सुनकर भागे-भागे उस जगह पर आये और अपने पोते को डूबता हुआ देखा | यह देखकर अकबर ने खुद पानी में छलांग लगा दी और जब वो अपने पोते के पास पहुंचे और पाया की यह तो बस एक पुतला है तो उन्हें सेवको पर बहुत गुस्सा आया|
अकबर पानी से बाहर आकर सेवको को बोले यह हरकत किसने की है| तो बीरबल बादशाह अकबर से बोले, “बादशाह जी| यह हरकत मेरी है|”
फिर अकबर ने उससे इसका कारण पूछा तो बीरबल ने कहा, “बादशाह जी| आप अपने पोते को बचाने के लिए खुद क्यों कूदऐ| यह काम तो आप अपने सेवको से भी करवा सकते थे|”
अकबर को आपने किया हुआ प्रश्न याद आ गया और बोले, “मैं समझ गया बीरबल| तुम मुझे क्या समझाना चाहते हो|” फिर बीरबल बोले “जैसे की आप खुद अपने पोते को बचाने के लिए कूद गए ऐसे ही भगवान् अपने भक्तों को बचाने के लिए खुद ही आते हैं क्यूंकि उन्हें भी अपने भक्तों से प्रेम होता है|”
अकबर यह सुनकर अकबर की तारीफ करने लगे|