एक बार अकबर राजा कुछ सोचते हुए अपने दरबार में आये| उन्होंने अपने सभी मंत्रियों को देखा और बोला “आज किसी ने मेरी दाढ़ी खींचने की हिम्मत करी है| आप लोग बुद्धिमान हो, आप लोगो बताएं उस व्यक्ति को क्या सजा मिलनी चाहीये|”
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सब मंत्री यह बात सुनकर क्रोधित हो गए और बोले महाराज आप हमें बताई किसने यह गुस्तागी की है| हम उस व्यक्ति को पकड़ कर आपके सामने पेश कर देंगे| अकबर राजा बोले की आप सब उसकी सजा निर्धारित करें| उसे व्यक्ति तो सजा मैं खुद दूंगा|
फिर एक मंत्री बोला, “राजा जी उस व्यक्ति के हाथ पैर काट देने चाहिए|”
दूसरा मंत्री बोला, “उस आदमी को फांसी की सजा देनी चाहिए|”
तीसरा मंत्री बोला, “उस आदमी को आजीवन कारावास की सजा देनी चाहिए|”
अकबर ने कुछ देर सोचा और दरबार में बीरबल को खोजने लग गया| फिर अकबर ने बीरबल से बोला, “बीरबल तुम बताओ क्या सजा देनी चाहिए|”
बीरबल बड़े विनम्रता से बोला, “महाराज उसे गले से लगाना चाहिए और और बहुत से उपहार देने चाहिए|”
बीरबल की यह बात सुनकर सब मंत्री गुस्सा हो गए और बोले यह बीरबल क्या बोल रहा है| राजा की दाढ़ी खींचने वाले को तो सख्त सख्त सजा देनी चाहिए|” राजा यह सुनकर बोला, “बीरबल तुम ऐसा क्यों बोल रहे हो| मेरा दाढ़ी खींचने वाले को ऐसी सजा क्यों मिलनी चाहिए|”
बीरबल बोला, “महाराज आपकी दाढ़ी खींचने की हिम्मत आपके पोते के इलावा और कौन कर सकता हैं |” अकबर राजा यह उत्तर सुनकर बहुत पसंद हुआ| असल में अकबर राजा ने यह प्रश्न केवल अपने मंत्रियों को परखने के लिए ही पूछा|
अकबर राजा ने बीरबल की बुद्धिमता की तारीफ की और उसे 100 सोने के सिक्के उपहार में दिए|
सीख (Moral of the Story):
हमें मुश्किल समय में भी धैर्य से काम लेना चाइये और बुद्विमता से काम करना चाहिए|