एक छोटे से गाँव में एक लकड़हारा और उसकी पत्नी रहते थे | उनकी कोई संतान नहीं थी | वह दोनों कई मंदिर गए और कई पूजा पाठ करवाए पर फिर भी उन्हें संतान नहीं हुई | दोनों अब संतान की आस छोड़ चुके थे |
एक दिन लकड़हारा और उसकी पत्नी एक मंदिर में गए | भगवान् की पूजा करने के बाद जब वह वापिस आ रहे थे तब उनके पैरों के पास एक साँप आकर बैठ गया | बहुत देर तक साँप को हटाने के बाद भी वह साँप वहां से नहीं गया और एक ही जगह बैठा रहा | लकड़हारे ने देखा उस साँप को चोट लगी हुई है | फिर वह उस साँप को अपने घर पर ले गया और उसकी पट्टी करी |
लकड़हारे ने उस साँप को पाल लिया और उसका अपनी संतान की तरह देख-भाल करने लगा | वह उस साँप के साथ खेलता और जहाँ भी जाता उस सांप को अपने साथ ही रखता | लकड़हारे की पत्नी भी उस साँप को अपने बेटे जैसा ही मानती थी और उसके खाने पीने का हमेशा ध्यान रखती थी |
जब साँप बड़ा हुआ तो एक पंडित ने बोला की इसका विवाह किसी साँप से नहीं बल्कि किसी लड़की से होना चाहिए | यह सुनकर लकड़हारा उस साँप के लिए एक लड़की खोजने लगा | पर बहुत खोजने के बाद भी उसे कोई लड़की नहीं मिली | फिर एक दिन वह अपने दोस्त के पास गया और उसे पूरी बात बताई | लकड़हारे का दोस्त अपनी बेटी का विवाह साँप से करवाने के लिए राजी हो गया | लड़की भी मन मानकर इस विवाह के लिए राजी हो गयी | लकड़हारे ने फिर अपने बेटे साँप और उस लड़की के विवाह करवा दिया |
विवाह के बाद लड़की उस साँप की बहुत देख-भाल करती और रोज़ अपने साथ ही उस साँप को सुलाती | एक दिन जब लड़की सो रही थी तो उसने देखा की उसके साथ साँप की जगह एक युवक सो रहा है | लड़की जैसे ही शोर मचाने के लिए उठी युवक भी उठ गया और मुस्कराते हुए बोला “मैं तुम्हारा पति ही हूँ जो साँप के वेश में रहता हूं | मैं इच्छाधारी सॉंप हूं” | वह लड़की वह सुनकर बहुत खुश हुई |
अगले दिन उस लड़की ने यह बात लकड़हारे को बताई | पहले को सबको यकींन नहीं हुआ फिर वो लोग मान गए | पर फिर एक दिन उस लड़की ने उस साँप को इन्सान बनते हुए देखा | इन्सान बनने के बाद वह साँप अपनी केंचुली वही पर छोड़ जाता है और थोड़ी देर बाद वापिस उस केंचुली में प्रवेश कर जाता है जिससे वह दुबारा साँप बन पाए | फिर साँप की पत्नी ने सोचा की क्यों न इसकी केंचुली जला दी जाये जिसके की मेरा पति फिर कभी साँप न बन पाये |
यह सोचकर जब उसका पति अगले दिन इन्सान बना तो उसकी पत्नी ने वह केंचुली जला दी | उसके बाद वह साँप हमेशा इंसान के रूप में ही रहने लगा | लकड़हारा और उसकी पत्नी भी अपने बेटे को इन्सान के रूप में देखकर बहुत खुश हुए | फिर वह लड़का और उसकी पत्नी ख़ुशी ख़ुशी जीवन बिताने लगे |
कहानी से सीख (Moral of the story)
सच्चा प्यार और देखभाल चमत्कारी परिवर्तन ला सकती है | लकड़हारे और उसकी पत्नी द्वारा सांप को अपना बच्चा मानकर दिखाए गए बिना शर्त प्यार और स्वीकृति के कारण एक जादुई परिणाम सामने आया। कहानी हमें बिना सीमाओं के प्यार को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती है और रिश्तों में वास्तविक देखभाल और करुणा की परिवर्तनकारी शक्ति पर प्रकाश डालती है।