Class 2 Short Moral Stories in Hindi – Best Stories for Kids

कहानियाँ बच्चो के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होती हैं | छोटे बच्चो के लिए short moral stories in Hindi पढ़ना और सुनना कई तरीको से बहुत फायदेमंद होता है | Class 2 Short Moral Stories in Hindi बच्चो की भाषा सुधारने में मदद करती है | और इन कहानियों के माध्यम से बच्चे नये शब्द और वाक्य सरचना भी सीखते हैं |

दूसरी बात, कहानियाँ बच्चो में कल्पनाशक्ति को भी बढ़ाती हैं | जब बच्चे कहानियों के बारे में सोचते हैं तो वो अपने मन में एक नयी दुनिया की कल्पना करते हैं | इससे उनकी सोचने और समझने की क्षमता बढ़ती है |

इसके इलावा, Class 2 Short Moral Stories in Hindi बच्चो को नैतिक शिक्षा भी देती है | कहानियाँ बच्चो को अच्छे और बुरे का फर्क समझाती हैं | जैसे सच बोलना, दूसरों की मदद करना, अपने माता-पिता का आदर करना | ऐसी कहानियों से बच्चो में अच्छी आदतें और अच्छे संस्कार विकसित होते हैं |

कहानियाँ बच्चो को परिवार और समाज के बारे में समझने में भी मदद करती है | कहानियों में परिवार, दोस्ती, और समाज से जुड़े हुए पहलु होते हैं| इससे बच्चे एक अच्छे इन्सान बनने की और प्रेरित होते हैं |

आशा है आपको Class 2 Short Moral Stories in Hindi पसंद आएँगी |

1. कहानी साहसी गिलहरी की – Short Story of Brave Squirrel

एक बहुत बड़ा जंगल था | वह जंगल बहुत ही सुन्दर था और वहां पर बहुत ऊँचे-ऊँचे पेड़ भी थे| वहां पर एक छोटी गिलहरी भी रहती थी | उसका नाम निब्बल था | निब्बल बहुत ही सुन्दर थी उसकी पूंछ बहुत ही सुन्दर थी और गिलहरियां उसकी पूछ की बहुत तारीफ़ किया करती थी | पर सब लोग उसे डरपोक गिलहरी कहते थे क्यूंकि वह ऊँचे-ऊँचे पेड़ों पर जाने से डरती थी |

एक दिन सब गिलहरियां खेल रही थी | वह खेलते हुए एक दूसरे को पकड़ रही थी | निब्बल भी बहुत खुश थी और वह भी अपने दोस्तों के साथ खेल रही थी | फिर सब गिलहरियां ऊँचे-ऊँचे पेड़ों पर जाने लगी पर निब्बल ने जाने से मना कर दिया | “चलो न, निब्बल” ऊपर जाकर बहुत अच्छा लगता है ऊपर से हम दूर-दूर तक देख सकते हैं | लेकिन निब्बल को ऊचाइयों का नाम सुनकर ही चक्कर आने लगा और उसने जाने को मन कर दिया |

एक दिन निब्बल खाने की तलाश में घूम रही थी | तभी उसने कुछ गिरने की आवाज़ सुनी | वह आवाज सुनकर वहां पर गयी | उसने देखा की एक छोटी सी चिड़िया वहां पर गिरी हुई है | वह और पास गयी तो उसने देखा की यह तो उसकी दोस्त है | चिड़िया ने बताया की वह पेड़ में फंस कर गिर गयी और अब उससे उठा भी नहीं जा रहा | चिड़िया ने कहा की अगर मैं यहाँ पड़ी रही तो जरूर कोई जानवर मुझे खा जायेगा | फिर वह निब्बल से बोली की “क्या तुम मुझे मेरे घोंसले तक पहुंचा सकती हो | मेरा घोंसला पास ही में है ” | निब्बल बहुत दयालु थी उसने उस चिड़िया को पूछ में लपेट लिया और उसे उसके घोंसले तक पहुँचाने के लिए निकल पड़ी |

जब निब्बल उसके घोंसले के पास पहुंची तो उसने देखा की घोंसला को ऊँचे पेड़ पर बना हुआ है | निब्बल यह देखकर घबरा गयी | पर उसने अपने दोस्त के लिए हिम्मत करी और धीरे-धीरे पेड़ पर चढ़ने लगी | निब्बल जब पेड़ की ऊंचाई पर पहुंची और उसने नीचे देखा तो वह बहुत घबरा गयी पर उसने हिम्मत नहीं हारी और चिड़िया के घोसले तक पहुँच गयी | फिर निब्बल ने चिड़िया को उसके घोसले में रखा| चिड़िया ने उसे धन्यवाद किया | निब्बल यह सुनकर बहुत खुश हुई

निब्बल ने महसूस किया की उसने अपने डर पर विजय पा ली है और उसे अब ऊचाइयों से डर नहीं लग रहा |

कहानी से सीख (Moral of the Story): किसी चीज़ से डरना गलत नहीं है पर डर का सामना करके ही हम विजयी बन सकते हैं |

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2. ईमानदारी का फल – Fruit of Honesty – Class 2 Short Moral Stories in Hindi

एक गाँव में राहुल नाम का एक लड़का रहता था | राहुल बहुत होशियार था | पर उसे झूठ बोलने की बहुत आदत थी | राहुल बात-बात पर झूठ बोलता था | राहुल के घरवाले इस बात से बहुत परेशान थे |

एक दिन राहुल अपने घर में घूम रहा था तभी उसे एक 10 रुपए का सिक्का मिला | राहुल बहुत खुश हो गया | राहुल ने सोचा की इस 10 रुपए में तो बहुत मजे कर सकता है | बाजार से बहुत कुछ खरीद सकता है | पर उसे पता था की यह सिक्का पापा या मम्मी का है | राहुल ने सोचा की यह सिक्का मैं छुपा लेता हूं और किसी को भी नहीं बताऊंगा |

फिर राहुल सोच में पड़ गया | उसने सोचा की अगर मैंने यह सिक्का छुपा लिया तो मुझे इसकी आदत पड़ जाएगी | और आगे जाकर मुझे अपने आप पर शर्म आएगी | फिर उसने तय किया की यह सिक्का लौटा देगा |

यह सोचकर वह अपने पापा के पास चला गया और उनसे पूछा की क्या यह सिक्का उनका है | पापा ने कहा की यह सिक्का उनका ही है और वो कल से इसे ढूंढ रहे थे | पापा ने फिर राहुल को शाबाशी दी |

राहुल बहुत खुश हुआ और आगे उसने कभी भी झूठ ना बोलने की कसम खायी | राहुल ने समझा की इनामदारी का फल मीठा होता है और उससे दुसरो का विश्वास और प्यार भी मिलता है | फिर राहुल ने अपनी जिंदगी में हमेशा ईनामदार बनने का वादा किया |

कहानी से सीख (Moral of the Story): इनामदारी सबसे बड़ी दौलत है | सच बोलने से न केवल दूसरों का विश्वास मिलता है, बल्कि मन की शांति भी मिलती है |

3. मेहनत का फल – Fruit of Hard Word

एक छोटे गाँव में रमेश नाम का एक किसान रहता था | उसके पास एक छोटा सा खेत था, जिससे वह और उसका परिवार अपना जीवनयापन करता था | रमेश बहुत मेहनती था, लेकिन उसे लगता था कि किस्मत हमेशा उसका साथ नहीं देती | हर साल वह मेहनत करता, लेकिन उसकी फसल उतनी अच्छी नहीं होती जितनी वह उम्मीद करता था |

एक दिन रमेश को उसके एक बुजुर्ग दोस्त ने सलाह दी, “रमेश, तुम हमेशा मेहनत करते हो, लेकिन तुम्हें अपनी मिट्टी की देखभाल भी करनी चाहिए | अगर तुम खेत को अच्छे से तैयार करोगे, खाद डालोगे और सही समय पर पानी दोगे, तो तुम्हारी फसल बहुत अच्छी होगी |”

रमेश ने इस बात के बारे में सोचा और यह बात ध्यान में रखी और इस बार उसने अपना पूरा ध्यान खेत की मिट्टी और उसकी देखभाल पर लगाया | उसने खेत को अच्छी तरह जोता, उसमें प्राकृतिक खाद डाली और हर हफ्ते पानी दिया | साथ ही, उसने फसल में कीड़े-मकोड़ों से बचाव के लिए प्राकृतिक उपाय अपनाए |

कुछ महीनों बाद, रमेश की फसल लहलहाने लगी | उसके खेत में खूब सुंदर और स्वस्थ पौधे उगे | जब फसल काटने का समय आया, तो इस बार रमेश को उम्मीद से कहीं ज्यादा अनाज मिला | उसकी मेहनत रंग लाई और गाँव के सभी लोग उसकी फसल की तारीफ करने लगे |

रमेश को तब समझ आया कि केवल किस्मत पर निर्भर रहने से कुछ नहीं होता, बल्कि मेहनत और सही तरीके से काम करने से ही सफलता मिलती है | उसने ठान लिया कि अब वह हमेशा अपनी मेहनत और ध्यान से ही काम करेगा |

कहानी की सीख (Moral of the Story): किस्मत का साथ तभी मिलता है जब आप मेहनत और लगन से अपना काम करते हैं | मेहनत और सफलता से किया हुआ काम ही आपको जीवन में सफल बनाता है |

4. लोमड़ी और सारस की दोस्ती – Short Class 2 Moral Story of Friendship of Fox and Stork

एक जंगल में लोमड़ी और सारस की बहुत गहरी दोस्ती थी | दोनों अक्सर एक-दूसरे से मिलते और एक-दूसरे से बातें करते थे | एक दिन लोमड़ी ने सोचा की क्यों न आज मैं सारस को खाने पर बुलाऊं और उसे परेशान करूँ | लोमड़ी ने सारस को बुलाया और कहा, “आओ दोस्त, आज मेरे घर पर भोजन करो मैंने आपके लिए बहुत अच्छे पकवान बनाये हैं।” यह सुनकर सारस बहुत खुश हुआ |

सारस खुशी-खुशी लोमड़ी के घर पहुंचा | लोमड़ी ने सूप बनाया, लेकिन उसने सूप को चौड़ी प्लेट में परोसा | सारस ने अपनी लंबी चोंच से सूप पीने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह असफल रहा | वहीं, लोमड़ी आराम से सूप पीती जा रही थी। सारस भूखा रह गया और चुपचाप वापस चला गया |

सारस ने सोचा, “लोमड़ी को उसकी हरकत का जवाब देना चाहिए |” अगले दिन उसने लोमड़ी को अपने घर भोजन पर बुलाया | लोमड़ी बहुत खुश हुई और तुरंत चल पड़ी | सारस ने भोजन को लंबी गर्दन वाले मटके में परोसा, जिसमें केवल उसकी चोंच ही जा सकती थी | सारस आराम से भोजन कर रहा था, लेकिन लोमड़ी मटके में अपना मुँह नहीं डाल पा रही थी | उसने भोजन करने की बहुत ही कोशिश की, लेकिन भूखी रह गई |

अब लोमड़ी को अपनी गलती का एहसास हुआ | उसने शर्मिंदा होकर सारस से माफी मांगी | सारस ने उसे माफ कर दिया, लेकिन उसे यह सिखा दिया कि दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसा हम अपने लिए चाहते हैं |

कहानी की सीख (Moral of the Story): जैसा व्यवहार हम दूसरों के साथ करते हैं, वैसा ही हमारे साथ भी होता है। हमें हमेशा दूसरों के साथ अच्छा और ईमानदार का व्यवहार करना चाहिए |

5. दो बिल्लियाँ और बन्दर का न्याय – Two cats and Monkey Justice – Short Moral Story in Hindi

एक गांव में दो बिल्लियाँ रहती थीं | एक दिन उन्हें एक रोटी का एक टुकड़ा मिला | दोनों बिल्लियाँ रोटी के लिए झगड़ने लगीं | क्योंकि दोनों ही उसे खाना चाहती थीं | उस झगड़े के बीच, वे यह तय नहीं कर पा रही थीं कि रोटी का टुकड़ा किसे मिले ?

तभी वहां से एक चालाक बंदर गुजर रहा था | उसने बिल्लियों का झगड़ा देखा और सोचा, “क्यों न मैं इन दोनों को मूर्ख बनाकर रोटी खा लूं |” वह बिल्लियों के पास गया और बोला, “तुम दोनों झगड़ना बंद करो मैं तुम दोनों के लिए रोटी बराबर बांट दूंगा |”

बिल्लियाँ मान गईं और बंदर ने रोटी के दो टुकड़े किए | लेकिन उसने एक टुकड़ा बड़ा और एक छोटा किया फिर वह बोला, “अरे, ये तो बराबर नहीं है मुझे इन्हें बराबर करना होगा |” उसने बड़े टुकड़े में से थोड़ा सा टुकड़ा खा लिया |अब छोटा टुकड़ा बड़ा हो गया यह देखकर उसने फिर से दूसरे टुकड़े में से थोड़ा सा टुकड़ा खा लिया |

बंदर बार-बार इसी तरह दोनों टुकड़ों को बराबर करने के बहाने खाता गया, जब तक कि रोटी का पूरा टुकड़ा उसने खा नहीं लिया बिल्लियाँ ठगी-सी देखती रह गईं और उन्हें समझ आ गया कि उन्होंने बंदर को बुलाकर गलती की | अब दोनों को बहुत पछतावा हुआ और सोचा की इससे अच्छा तो हम लोग ही आपस में बांटकर खा लेते | पर अब किया भी क्या सकता है | दोनों मन मसोस कर घर चली गयी |

कहानी की सीख (Moral of the Story): आपस में लड़ने से हमारा ही नुकसान होता है, और कभी-कभी दूसरे लोग हमारे झगड़े का फायदा उठा सकते हैं |

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