चमत्कारी झील की परी – Pari ki Kahani

बहुत समय पहले एक खूबसूरत गाँव के बीच में एक चमत्कारी झील थी | ऐसा माना जाता था की इस झील का पानी न सिर्फ प्यास बुझाता था बल्कि शरीर की सभी बिमारियों को भी ठीक कर देता था | इस झील की देखभाल एक परी जिसका जीकर परी की कहानी में भी होता है, करती थी, जिसे सब रक्षक परी कहते थे | वह झील को साफ़ – सुथरा और जादुई बनाने के लिए हमेश तैयार रहती थी | अगर कोई भी उस झील के पानी को गन्दा करने की कोशिश करता तो परी उसे मना करती थी |

उस झील के पास एक छोटा सा गाँव था | गाँव के सभी लोग इस झील के बारे में जानते थे और झील को साफ़-सुथरा रखने में परी की मदद करते थे | सभी गाँव वाले झील को साफ़ रखने के नियमों का पालन करते और जरूरत से ज्यादा पानी नहीं लेते थे | परी भी गाँव वालों की इस समझदारी से बहुत खुश थी |

लेकिन एक दिन, एक दूर के राजा को इस झील के बारे में पता चला | राजा को पहले तो इस बात पर विशवास नहीं हुआ की ऐसी भी कोई झील हो सकती है | राजा के चेहरे पर चोटों के निशान थे और राजा इन निशानों से मुक्ति चाहता था | राजा उस झील के पास गया और उसका पानी पीया | पानी पीते ही राजा ने चोटों के निशान गायब हो गए | राजा यह देखकर हैरान रह गया |

राजा का लालच

राजा के मन में लालच आ गया | राजा ने सोचा “अगर मैं एक झील का पानी बेचने लग जाऊ तो मैं बहुत अमीर हो जाऊँगा |” यह सोचकर राजा ने अपने सैनिकों को आदेश दिया की इस झील का पानी भरके हमारे राजमहल में रखा जाए | सभी सैनिकों ने ऐसा ही करना शुरू कर दिया | यह बात परी तक पहुँची तो वह राजा से मिलने गयी और राजा को बोला “राजा जी! अगर आप इस झील का पानी किसी गलत काम में लगाएंगे तो इसकी पानी की शक्ति समाप्त हो जाएगी |”

पर राजा ने परी की एक न सुनी और परी को कैद कर लिया | जब गाँव वालो को यह बात पता चली तो वह भी राजा से लड़ने आ गए | लेकिन राजा की फौज से ज्यादा देर तक नहीं लड़ पाए और राजा ने उन सबको कैद कर लिया |

राजा ने अब सब सैनिकों को पानी निकालने के लिए लगा दिया | जैसे-जैसे झील का पानी कम होता गया झील के पानी की शक्ति कम होती गयी | धीरे – धीरे पानी काला पड़ने लगा और बेकार हो गया |

राजा का अफ़सोस

राजा यह देखकर हैरान रह गया | अब राजा को चोटों के निशान भी वापिस आ गए | अब राजा को अपनी करनी पर अफसोस हुआ | राजा अब परी के पास गया और उससे माफ़ी मांगी और उसे झील का पानी दुबारा सही करने का आग्रह किया | परी बोली, “पहले आ कसम खाओ की फिर कभी झील के पानी का गलत प्रयोग नहीं करोगे |” राजा ने हां बोला और परी और गाँव वालों को आजाद कर दिया |

फिर परी ने अपनी जादुई छड़ी से झील का पानी दुबारा ठीक कर दिया | राजा ने अब झील का पानी पिया और उसकी चोटों के निशान दुबारा गायब हो गए | राजा ने परी को धन्यवाद दिया और वहां से चला गया |

परी की कहानी से सीख (Moral of the Story): लालच और स्वार्थ केवल विनाश की और ले जाते हैं | प्रकृति की रक्षा करना हम सबकी जिम्मेदारी है |

आशा है आपको परी का कहानियाँ पसंद आ रही होंगी | परी की और कहानियाँ पढ़ने के लिए परियों की कहानियाँ पर जाएं |

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